काठमांडू। प्रतिनिधि सभा को बहाल करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर रिट याचिका में, निजी वकील प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की ओर से बहस करेंगे।
अटॉर्नी जनरल अग्नि खरे समेत ग्यारह सरकारी वकील प्रधानमंत्री ओली के पक्ष में बहस करने के लिए तैयार हैं।
वरिष्ठ अधिवक्ता बाल कृष्ण नुपाने, सुरेंद्र भंडारी और विष्णु भट्टराई, जो राजशाही और हिंदू राष्ट्र के लिए प्रचार कर रहे हैं, पीएम के इस कदम के बचाव में बहस करने के लिए भी तैयार हैं।
जबकि राजनीतिक दल और नागरिक समाज संसद के विघटन का विरोध कर रहे हैं, प्रधान मंत्री ने निजी वकीलों के रूप में रॉयलिस्ट कार्यकर्ताओं को काम पर रखा है।
बैसनेट गणतंत्रवाद, धर्मनिरपेक्षता और संघवाद के खिलाफ has नेपाल के लिए नेपाली अभियान ’चला रहा है। नूपेन और भंडारी ने हाल ही में राष्ट्रीय नागरिक आंदोलन के नाम पर एक जुलूस का नेतृत्व किया है जिसका नाम है 'राजा आओ, देश बचाओ'। नूपेन, जो नागरिक आंदोलन के समन्वयक भी हैं, ने अगले 7 फरवरी से गणतंत्र, धर्मनिरपेक्षता और संघवाद के खिलाफ बड़े पैमाने पर आंदोलन शुरू करने की घोषणा की है।
संसद के विघटन की रक्षा के लिए बहस करने वाले एक अन्य वरिष्ठ अधिवक्ता बिष्णु भट्टाराई हैं, जो राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के केंद्रीय सदस्य हैं, जो गणतंत्रवाद, धर्मनिरपेक्षता और संघवाद का विरोध करता है।
भट्टाराई का कहना है कि वह सरकार के अनुरोध पर प्रधानमंत्री ओली के वकील बनने के लिए तैयार हैं। वरिष्ठ अधिवक्ता भट्टाराई ने ऑनलाइन ख़बर के हवाले से कहा, "जितना दूसरों को यह कहने का अधिकार है कि संसद भंग करना गलत है, मुझे यह कहने का भी अधिकार है कि यह सही है।"
सीपीएन (माओवादी) के मुख्य सचेतक देव गुरुंग, वरिष्ठ अधिवक्ता दिनेश त्रिपाठी, अधिवक्ता लोकेंद्र ओली, कंचन कृष्ण नेपूणे, संप्रति खरेले, ज्ञानेंद्र राज ऐरन, शालूराम सपकोटा, कमल खत्री, मनीराम उपाध्याय, अमिता गौतम, दीपक चौधरी, दीपक चौधरी, दीप प्रज्वलित। 13 रिट दायर की गई हैं।
इस मामले की सुनवाई संवैधानिक न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश चोलेंद्र शमशेर जबरा, जस्टिस विश्वंभर प्रसाद श्रेष्ठ, अनिल कुमार सिन्हा, सपना प्रधान मल्ल और तेज बहादुर केसी में हो रही है।
संसद विघटनको मुद्दा बृहत पूर्ण इजलासले किन नहेर्ने ?
Reviewed by sptv nepal
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January 13, 2021
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